
सही राह पर चलना जितना जरूरी है, उतना ही चुनौतीपूर्ण घर, कार्यस्थल (आफिस, दुकान आदि) स्कूल, कालेज इनके बीच नेकी और सदाचार की डगर से भटकाने, भ्रमित या...
सही राह पर चलना जितना जरूरी है, उतना ही चुनौतीपूर्ण घर, कार्यस्थल (आफिस, दुकान आदि) स्कूल, कालेज इनके बीच नेकी और सदाचार की डगर से भटकाने, भ्रमित या विचलित करने के लिये अनेक साामग्री तथा व्यवस्थाएं मानो एकजुट हो, इसलिए सन्मार्ग का चयन करने वाले को आरम्भ से ही कर्मठता, लगन और बाधाओं से तटस्थ रहने का संकल्प लेना चाहिए। आदि आदि से हैवानी शक्तियां दैविक शक्तियों पर हावी रही। आज भी उनका ही दबदबा है। नकारात्मक विध्वंसक, संवेगों से अभिप्रेरित व्यक्ति अपने नापाक मंसूबों को अन्जाम देने में नैतिकता अथवा औचित्य पर विचार करने में असमर्थ रहता है अथवा वह ऐसा करना भी नहीं चाहता। समाज अथवा व्यवसायिक दायरों में कार्य योग्यता, क्षमता, अनुभव, निष्ठा आदि में अयोग्य व्यक्ति द्वारा जोडतोड से उच्च पद हथियाने, झूठ फरेब से वाहवाही लूटते देखकर नेक व्यक्ति कदाचित शंकाग्रस्त या क्षुब्ध हो सकते हैं कि प्रभु यह कैसा न्याय है, सर्व शक्तिमान प्रभु झूठ, फरेब का नाश क्यों नहीं करते, परन्तु नहीं सुर-असुर दोनों के जन्मदाता वही परमात्मा हैं। ईश्वर सभी को अपने विवेक के अनुसार अपना मार्ग चुनने का अवसर देते हैं और जो जैसा करता है, उसका सुफल-कुफल उसे अवश्य भुगतना पडता है। यही ईश्वरीय न्याय है।